Sunday, June 22, 2014

माँ धारी देवी सिद्ध पीठ -संक्षिप्त युग चित्रण !


कल्यासौड़ से माता के मंदिर का पैदल प्रवेश द्वार।  

कल्यासौड़ पैदल मार्ग की तरफ से प्राचीन मंदिर, पुल  और धारी गाँव की एक छवि।


१. धारी गाँव और आस-पास के अन्य गाँवों को जाने हेतु पैदल पुल जो बाढ़ में बह गया।
२. कल्यासौड़ सड़क मार्ग तक पहुँचने का पैदल मार्ग।
३. मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार।
४.  मंदिर के समीप का घाट जहां श्रद्धालु मदिर में प्रवेश से पहले स्नानादि करते थे। 
अलकनंदा तट पर एक शिला पर स्थित माँ का प्राचीन मंदिर                 
श्रद्धालु, श्रद्धा और मन्नत के लिए माँ को घंटियाँ  भेंट करते हैं। 
अलकनंदा नदी पर सुपाणा गाँव / कोटेश्वर  में जलविद्युत परियोजना हेतु बाँध  बनने  और मंदिर के डूब क्षेत्र में होने की वजह से फिर शुरू हुआ मंदिर में माता की मूर्तियों  को ऊपर उठाने का काम।
निर्माणाधीन बाँध

एक स्थानीय अखबार की खबर। बता दें कि १५-१६ जून २०१३ को आई केदार त्रासदी को भी कुछ लोगो ने माता के मंदिर के साथ छेड़छाड़ से जोड़कर देखा।  
                 
अभी लिफ्टिंग (उत्तोलन )का काम अधूरा ही था कि बांध की वजह से जल भराव और बाढ़ की वजह से प्राचीन मंदिर का हिस्सा डूब गया और पुल  बह  गया।
लगभग निर्मित नवमंदिर माता का।  
मंदिर के नजदीक ऋषिकेश- बदरीनाथ हाइवे
  माँ- धारी !
                  
और आखिरकार मातारानी की मूर्तियों को इस  नव-मंदिर में १५-१६ जून , २०१३ को प्रतिस्थापित कर  दिया गया।  


जय माता दी !






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